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अब सीएचओ भी खोजेंगे टीबी मरीज, घर-घर होगी स्क्रीनिंग

इटावा एक्सप्रेस संपादक राजीव यादव

अब सीएचओ भी खोजेंगे टीबी मरीज, घर-घर होगी स्क्रीनिंग

इटावा, 25 अगस्त 2022जनपद में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) भी टीबी रोगी खोजेंगे। जिसमें मरीजों की स्क्रीनिंग की जाएगी और लक्षण युक्त व्यक्ति की टीबी जांच कराई जाएगी। जिसके लिए टीवी चिकित्सालय इटावा में दो वौचों में प्रशिक्षण का कार्यक्रम संचालित किया गया। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉक्टर शिव चरण हेम्ब्रम ने बताया- इसके लिए जिले में तैनात सभी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। सरकार का लक्ष्य 2025 तक टीवी उन्मूलन का है जिसे प्राप्त करने के लिए अब सी एच ओ भी टीबी के मरीजों की खोज करने का काम करेंगें। लक्षण युक्त संभावित रोगियों की बलगम जांच हेतु जनपद के 19 डीएमसी वह सीएचसी जिला अस्पताल और जिला क्षय रोग नियंत्रण केंद्र इटावा में सैंपल भेजकर माइक्रोस्कोप,सीबीनेट,टूनेटसे जांच संपन्न कराई जाएगी रोग की पुष्टि होने पर संपूर्ण इलाज निशुल्क प्रदान किया जाएगा।

जिला कार्यक्रम समन्वयक कंचन तिवारी ने प्रशिक्षण में टीबी के 6 लक्षणों के बारे में विस्तार से बताया उन्होंने कहा कि कि टीबी की बीमारी जीवाणु से होती है।

यह अधिकतर फेफड़ों को प्रभावित करती है, हालांकि टीबी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। इसके लिए यह अभियान 23 अगस्त से शुरू हुआ है जो 30 सिंतबर तक जारी रहेगा। इस दौरान आशा कार्यकर्ता अपने अपने क्षेत्र में घर-घर स्क्रीनिंग करेंगी और संभावित टीबी मरीजों की सूची विभाग को सौंपेंगी। संभावित मरीजों की जांच कराई जाएंगी। इसके बाद पॉजिटिव टीबी मरीजों का इलाज शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया- यह पूरी प्रक्रिया निशुल्क होगी। जिला पीपीएम कॉऑर्डिनेटर निर्मल सिंह ने बताया- यदि किसी को दो हफ्ते या उससे अधिक समय से लगातार खांसी हो, खांसी के साथ बलगम और बलगम के साथ खून आना, वजन का घटना व भूख कम लगना, लगातार बुखार रहना, सीने में दर्द होना टीबी रोग के लक्षण हैं। इन लक्षणों वाले लोग क्षय रोग केन्द्र पर टीबी की जांच अवश्य करवाएं। उन्होंने कहा साधारण टीबी का उपचार कम से कम छह माह तक लगातार चलता है। कोई भी मरीज बिना चिकित्सक की सलाह के दवा बीच में न छोड़े, दवा बीच में छोड़ने से टीबी बिगड़ जाती है।डीपीटीसी अनस सुलेमान ने मल्टीड्रग रेजिस्टेंस टीबी (एमडीआर) के विषय में बताया। उन्होंने कहा कि इलाज बीच में छोड़ देने से एमडीआर टीबी होने की संभावना रहती है किसी एमएमडीआर टीबी मरीज से संक्रमण लगने से मरीज को एमडीआर टीबी होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। एमडीआर टीबी का इलाज संभव है।उन्होंने निश्चय पोषण योजना के विषय में बताया कि कोई भी टीबी का मरीज प्राइवेट या सरकारी इलाज ले रहा है वह आधार कार्ड व बैंक खाते की छाया प्रति देकर इस योजना का लाभ ले सकता है। इलाज के दौरान प्रतिमाह मरीज को ₹500 डीबीटी के माध्यम से खाते में दिया जाता है। सीएचओ प्रशिक्षण कार्यक्रम में टीम लीडर उदयवीर सिंह एसटीएस योगेंद्र सिंह, फार्मासिस्ट विशाल स्नातक आदि कर्मचारियों का विशेष सहयोग रहा। प्रशिक्षण में लगभग 74 सीएचओ ने प्रतिभाग किया

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